गड्ढे को हटाने के लिए आज्ञापक व्यादेश केवल दीवानी न्यायालय ही दे सकता है।
2.
प्रत्यर्थी / वादी द्वारा प्रश्नगत वाद आज्ञापक व्यादेश एवं स्थायी निषेद्धाज्ञा हेतु प्रस्तुत किया गया है।
3.
निर्ण य 2-वादीगण उपरोक्त द्वारा यह वाद प्रतिवादी उपरोक्त के विरूद्व (पी0सी0एस0जे 0) स्थायी व्यादेश एवं आज्ञापक व्यादेश के अनुतोष हेतु प्रस्तुत किया गया है।
4.
वाद-बिन्दुओ के उपरोक्त विश्लेषण के उपरान्त इस न्यायालय का यह अभिमत है कि दावा वादीगण वास्ते स्थायी व्यादेश एवं आज्ञापक व्यादेश विरूद्ध प्रतिवादीगण सव्यय आज्ञप्त किये जाने योग्य है।
5.
विद्वान अवर न्यायालय द्वारा प्रत्यर्थी / वादी का वाद स्थायी निषेद्धाज्ञा तथा आज्ञापक व्यादेश हेतु डिक्री किया गया है और पक्षों को अपना-अपना खर्च स्वयं वहन करने हेतु आदेशित किया गया है।
6.
वादसं0-1938 / 2003 वाद बिन्दुओं के उपरोक्त विश्लेषण के उपरान्त इस न्यायालय का यह अभिमत है कि दावा वादीगण विरूद्व प्रतिवादी वास्ते अस्थायी व्यादेश एवं आज्ञापक व्यादेश स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
7.
इस आशय का आज्ञापक व्यादेश भी चाहा गया कि उस पर पेड़-पौधे लगाने के बाद कब्जा भी प्रत्यर्थी / वादी को सौंप दे और ऐसा न करने पर न्यायालय के आदेश से उससे ऐसा कराया जाय।
8.
उक्त विधि व्यवस्था में मामला अन्तर्गत धारा-229बी उ0प्र0 जमीदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम एवं अन्तर्गत धारा-42 विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम के अन्तर्गत उद्घोषणा का वाद था किन्तु प्रस्तुत मामला स्थायी व्यादेश एवं आज्ञापक व्यादेश का है।
9.
अतः अपीलार्थी / प्रतिवादीगण को स्थायी निषेद्धाज्ञा द्वारा ऐसा करने से रोका जाय और आज्ञापक व्यादेश द्वारा प्रत्यर्थी/वादी की सिंचाई की गूल एवं रास्ते को खोलने हेतु आदेशित किया जाय और भविष्य में उसे ऐसा करने से रोका जाय।
10.
प्रस्तुत मामले में भी दौरान मुकदमा न्यायालय के स्थगन आदेश के बावजूद प्रतिवादीगण द्वारा न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए कब्जा व निर्माण का कार्य किया गया है ऐसे में प्रतिवादीगण द्वारा किया गया दौरान मुकदमा निर्माण प्रतिवादी के व्यय पर जरिये आज्ञापक व्यादेश हटवाये जाने योग्य है।